Movie/Album: चाणक्य [डी.डी.१] (1991)
Music By: अशित देसाई
Lyrics By: 'जयशंकर प्रसाद' या 'विश्वनाथ शुक्ला' या 'हरिवंश प्रसाद शुक्ला'
हम करें राष्ट्र आराधन
तन से, मन से, धन से
तन मन धन जीवन से
हम करें राष्ट्र आराधन
अन्तर से, मुख से, कृती से
निश्र्चल हो निर्मल मति से
श्रद्धा से मस्तक नत से
हम करें राष्ट्र अभिवादन
हम करें राष्ट्र आराधन...
अपने हंसते शैशव से
अपने खिलते यौवन से
प्रौढ़ता पूर्ण जीवन से
हम करें राष्ट्र का अर्चन
हम करें राष्ट्र आराधन...
अपने अतीत को पढ़कर
अपना इतिहास उलटकर
अपना भवितव्य समझकरअश्तर
हम करें राष्ट्र का चिंतन
हम करें राष्ट्र आराधन...
है याद हमें युग युग की, जलती अनेक घटनायें
जो माँ के सेवा पथ पर, आई बनकर विपदायें
हमने अभिषेक किया था, जननी का अरिशोणित से
हमने श्रृंगार किया था माता का अरिमुंडो से
(This
line means that we decorated Mother India (symbolically represented as
mother Kaali by ancient Indians) with a garland of skulls of the
enemies. These enemies can be either external or the 6 internal enemies
-- kama (desire), krodha (anger), moha (lust), lobha (misery), madha (pride) and
maathsarya (jealousy) which try to destroy the humanity in the character
of a person. This line indicates that we are working for the progress of our
country by destroying these enemies.)
हमने ही उसे दिया था, सांस्कृतिक उच्च सिंहासन
माँ जिस पर बैठी सुख से, करती थी जग का शासन
अब काल चक्र की गति से, वह टूट गया सिंहासन
अपना तन मन धन देकर हम करें पुनः संस्थापन
Sources:
- "http://hindilyricspratik.blogspot.in/2013/01/hum-kare-rashtra-araadhan-chanakya.html#chitika_close_button",
accessed on 5th November,2013
- "http://www.youtube.com/watch?v=hnMZwzPUqSM", accessed on 5th November, 2013
Music By: अशित देसाई
Lyrics By: 'जयशंकर प्रसाद' या 'विश्वनाथ शुक्ला' या 'हरिवंश प्रसाद शुक्ला'
हम करें राष्ट्र आराधन
तन से, मन से, धन से
तन मन धन जीवन से
हम करें राष्ट्र आराधन
अन्तर से, मुख से, कृती से
निश्र्चल हो निर्मल मति से
श्रद्धा से मस्तक नत से
हम करें राष्ट्र अभिवादन
हम करें राष्ट्र आराधन...
अपने हंसते शैशव से
अपने खिलते यौवन से
प्रौढ़ता पूर्ण जीवन से
हम करें राष्ट्र का अर्चन
हम करें राष्ट्र आराधन...
अपने अतीत को पढ़कर
अपना इतिहास उलटकर
अपना भवितव्य समझकरअश्तर
हम करें राष्ट्र का चिंतन
हम करें राष्ट्र आराधन...
है याद हमें युग युग की, जलती अनेक घटनायें
जो माँ के सेवा पथ पर, आई बनकर विपदायें
हमने अभिषेक किया था, जननी का अरिशोणित से
हमने श्रृंगार किया था माता का अरिमुंडो से
(This line means that we decorated Mother India (symbolically represented as mother Kaali by ancient Indians) with a garland of skulls of the enemies. These enemies can be either external or the 6 internal enemies -- kama (desire), krodha (anger), moha (lust), lobha (misery), madha (pride) and maathsarya (jealousy) which try to destroy the humanity in the character of a person. This line indicates that we are working for the progress of our country by destroying these enemies.)
हमने ही उसे दिया था, सांस्कृतिक उच्च सिंहासन
माँ जिस पर बैठी सुख से, करती थी जग का शासन
अब काल चक्र की गति से, वह टूट गया सिंहासन
अपना तन मन धन देकर हम करें पुनः संस्थापन
Sources:
तन से, मन से, धन से
तन मन धन जीवन से
हम करें राष्ट्र आराधन
अन्तर से, मुख से, कृती से
निश्र्चल हो निर्मल मति से
श्रद्धा से मस्तक नत से
हम करें राष्ट्र अभिवादन
हम करें राष्ट्र आराधन...
अपने हंसते शैशव से
अपने खिलते यौवन से
प्रौढ़ता पूर्ण जीवन से
हम करें राष्ट्र का अर्चन
हम करें राष्ट्र आराधन...
अपने अतीत को पढ़कर
अपना इतिहास उलटकर
अपना भवितव्य समझकरअश्तर
हम करें राष्ट्र का चिंतन
हम करें राष्ट्र आराधन...
है याद हमें युग युग की, जलती अनेक घटनायें
जो माँ के सेवा पथ पर, आई बनकर विपदायें
हमने अभिषेक किया था, जननी का अरिशोणित से
हमने श्रृंगार किया था माता का अरिमुंडो से
(This line means that we decorated Mother India (symbolically represented as mother Kaali by ancient Indians) with a garland of skulls of the enemies. These enemies can be either external or the 6 internal enemies -- kama (desire), krodha (anger), moha (lust), lobha (misery), madha (pride) and maathsarya (jealousy) which try to destroy the humanity in the character of a person. This line indicates that we are working for the progress of our country by destroying these enemies.)
हमने ही उसे दिया था, सांस्कृतिक उच्च सिंहासन
माँ जिस पर बैठी सुख से, करती थी जग का शासन
अब काल चक्र की गति से, वह टूट गया सिंहासन
अपना तन मन धन देकर हम करें पुनः संस्थापन